सांसदों की पेंशन सुप्रीम कोर्ट नहीं संसद तय करेगी – अरुण जेटली
सांसदों की पेंशन सुप्रीम कोर्ट नहीं संसद तय करेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह तय करने का अधिकार केवल संसद को है कि सांसदों को कितनी पेंशन दी जा सकती है। संसद के सदस्यों को मिलने वाली पेंशन और अन्य सुविधाएं रद्द करने की मांग करने वाली अपील पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जवाब मांगे जाने के एक दिन बाद केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से राज्यसभा में गुरुवार को विपक्षी सदस्यों ने चिंता जताते हुए कहा कि सांसदों की छवि ख़राब की जा रही है।
इस पर वित्त मंत्री और सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा है कि यह एक निर्विवाद संवैधानिक रुख है कि जनता का धन संसद की मंजूरी के बाद ही खर्च किया जा सकता है। इसलिए केवल संसद ही यह तय कर सकती है कि जनता का धन कैसे खर्च किया जा सकता है। कोई अन्य संस्थान इस अधिकार का उपयोग नहीं कर सकता।
उन्होंने ये भी कहा कि यह तय करने का विशेष अधिकार संसद को है कि सरकारी पेंशन लेने का हकदार कौन है और कितनी पेंशन लेने का हकदार है। यह संवैधानिक रुख है जिसे प्रत्येक संस्थान को स्वीकार करना होगा। विपक्ष के सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट की इस बात का मुद्दा उठाया था कि ८० प्रतिशत पूर्व सांसद करोड़पति हैं। अरुण जेटली ने कहा कि मैं सदस्यों की भावनाओं का सम्मान करता हूं और सरकार हमेशा इस रुख पर कायम रहेगी।
मेरे विचार से अंतर-संस्थागत अनुशासन के तहत यह एक संवैधानिक रुख है जिसका सभी संस्थानों को सम्मान करना होगा। इससे पहले सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि सांसदों की छवि इस तरह की बन गयी है कि उनको काम किए बिना ही वेतन और पेंशन के तौर पर भारी भरकम धन राशि मिल जाती है। उन्होंने कहा कि कुछ पूर्व सांसद तो अत्यंत दयनीय हालत में जीवन गुजार रहे हैं।
उन्होंने उत्तर प्रदेश में एक पूर्व सांसद का जिक्र करते हुए कहा कि उनके बेटे रंगरोगन करके गुजर-बसर कर रहे हैं। कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि समाचार पत्र में प्रकाशित उस सर्वे को पढ़ कर वह अचंभित रह गए जिसमें कहा गया है कि ८० प्रतिशत पूर्व सांसद करोड़पति हैं। उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने कथित तौर पर कहा कि ८० प्रतिशत पूर्व सांसद करोड़पति हैं तो मैं समझता हूं कि यह एक गंभीर मुद्दा है।
उप सभापति पीजे कुरियन ने उनसे कहा कि वह न्यायपालिका की बुराई न करें और अदालतों में इसका समाधान तलाश करें। रमेश ने ये भी कहा कि कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद वर्तमान ८० प्रतिशत सांसद भी करोड़पति नहीं होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कथित तौर पर कहा था कि सांसदों को मिलने वाली पेंशन और अन्य सुविधाएं प्राम्भिक तौर पर जायज नहीं लगतीं। साथ ही न्यायालय ने केंद्र सरकार और भारत के चुनाव आयोग से उस अपील पर जवाब मांगा है जिसमें सांसदों को दी जाने वाली पेंशन और अन्य सुविधाएं रद्द करने की मांग की गई थी।
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