वहीदा रहमान को वेश्या का रोल ऑफर होने पर वहीदा क्या बोलीं
वहीदा रहमान को वेश्या का रोल ऑफर होने पर वहीदा क्या बोलीं, ‘जब गुरुदत्त ने मुझे वेश्या का रोल ऑफर किया तो मैं चौंक गई’। भारतीय सिनेमा में लोगों के दिलों पर राज करने वाली बेहतरीन अदाकारा वहीदा रहमान आज अपना ७९वां जन्मदिन मना रही हैं। वहीदा रहमान का जन्म १९३८ में तमिलनाडु की चेंगलपट्टु में हुआ था। वहीदा को बचपन से ही संगीत और नृत्य का बहुत शौक था। वो बचपन से डॉक्टर बनने का सपना देखती थीं। लेकिन आर्थिक तंगी के चलते उन्हें फिल्मों में काम करना करना पड़ा। अपनी फिल्मों के लिए वहीदा को पद्मश्री और पद्मभूषण पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
नाचने-गाने के शौक ने वहीदा को फ़िल्मी जगत में आने का मौका दिया। वहीदा के माता-पिता ने हमेशा उनके नाचने-गाने के शौक को सराहा। माता-पिता के मार्गदर्शन में वहीदा भरतनाट्यम नृत्य में निपुण हो गईं। इसके बाद वो स्टेज परफॉर्मेंस देने लगीं। उन्हें कई डांस ऑफर भी मिले। लेकिन वहीदा की कम उम्र की वजह से उनके माता-पिता ने ऑफर ठुकरा दिए। पिता के निधन के बाद घर की हालत बहुत खराब हो गई। इस वजह से उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू किया। उन्हें साल १९५५ में दो तेलुगू फिल्मों में काम करने का मौका मिला।
वहीदा के हिंदी सिनेमा में कैरियर की शुरुआत
हिंदी सिनेमा में वहीदा ने अपने कैरियर की शुरुआत गुरुदत्त की फिल्म ‘सीआईडी’ से की थी। गुरुदत्त की फिल्म ‘बागी’ सुपरहिट रही थी। अब वो अपने अगले प्रोजेक्ट ‘सीआईडी’ के लिए एक नया चेहरा तलाश रहे थे। गुरुदत्त अपनी पत्नी गीता के साथ हैदराबाद में एक फिल्म समारोह में पहुंचे थे। वहां उनकी नजर वहीदा रहमान पर रुक गई। गुरुदत्त और गीता दोनों वहीदा रहमान के पास गए और उनका नाम पूछा। उन्होंने का कहा, ‘मेरा नाम वहीदा है।’
‘वहीदा’ नाम सुनकर गुरुदत्त बोले, “तुम मुस्लिम हो, फिर तो तुम्हें उर्दू और हिंदी दोनों आती होगी”। इस पर उन्होंने कहा “हां बहुत अच्छे से आती है”। फिर गुरुदत्त तपाक से बोल पड़े, हिंदी फिल्मों में काम करोगी? इस पर वहीदा बोलीं, ‘मैं शुरू से ही हिंदी फिल्मों में काम करना चाहती थी, लेकिन अभी तक कोई ऑफर नहीं मिला था इसलिए मजबूरी में तमिल फिल्में करनी शुरू कर दी।’ वहीदा रहमान बिना कुछ बोले दोनों मुंबई वापस आ गए थे। इस मुलाकात के तीन महीने बाद अपने एक दोस्त को वहीदा के पास हैदराबाद भेजा। वहीदा को ‘सीआईडी’ के स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलाया था। यही वहीदा की पहली हिंदी फिल्म थी।
इसके बाद फिल्म ‘प्यासा’ के लिए उन्होंने वहीदा को साइन किया। खबर थी कि गुरुदत्त पहले इस फिल्म के लिए दिलीप कुमार को लेना चाहते थे लेकिन अचानक उन्होंने अपना मन बदल लिया। उन्होंने खुद ही इस फिल्म में लीड रोल करने का फैसला किया। चर्चा तो ये भी थी कि फीमेल लीड के लिए गुरुदत्त मधुबाला और नर्गिस को लेने के बारे में विचार कर रहे थे। इस फिल्म में गुरुदत्त और वहीदा की केमिस्ट्री कमाल की थी। बेहतरीन संगीत और अभिनय की वजह से इस फिल्म ने बॉलीवुड में इतिहास रचा दिया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुदत्त की ‘प्यासा’ दुनिया में अब तक बनी टॉप १०० फिल्मों में से एक है।
‘प्यासा’ फिल्म में गुरुदत्त ने वहीदा रहमान वेश्या ‘गुलाबो’ का रोल दिया। लेकिन वहीदा किसी भी कीमत पर एक वेश्या का रोल नहीं करना चाहती थी। इस पर एक बार वहीदा ने कहा था, ‘जब गुरुदत्त ने मुझे वेश्या का रोल ऑफर किया तो मैं चौंक गई’। खुद गुरुदत्त जानते थे कि मैं ऐसे रोल करने में असहज रहूंगी लेकिन उन्होंने मुझे भरोसा दिलाया कि कहानी की मांग पर उनसे कोई भी अंग प्रदर्शन या समाज विरोधी काम नहीं कराया जाएगा।’
वहीदा ने अनमने मन से इस रोल को स्वीकार कर लिया और फिल्म की शूटिंग की। लेकिन फिल्म ने सफलता के झंडे गाड़ दिए और विदेशों में भी फिल्म की स्क्रीनिंग कराई गई। वहीदा कहती हैं कि मैं इस फिल्म में अपने रोल को लेकर बहुत आशंकित थी लेकिन गुरुदत्त ने मुझ पर विश्वास किया और मुझ पर जोर डाला कि मैं ही ये रोल करूं।
वहीदा की वजह से गुरुदत्त और उनकी पत्नी के बीच टकराव
इसके बाद तो वहीदा और गुरुदत्त हर फिल्म में लीड पेयर के तौर पर नजर आने लगे। इसके चलते दोनों के अफेयर की खबरें लगातार बढ़ती चली गई। वहीदा की वजह से गुरुदत्त और उनकी पत्नी के बीच टकराव होने लगा था। इसके चलते गीता गुरुदत्त को छोड़कर चली गई थीं। जब ये बात वहीदा को पता चली तो उन्होंने गुरुदत्त के साथ कभी काम ना करने का फैसला लिया। इसी गम में गुरुदत्त ने ३९ वर्ष की छोटी सी उम्र में ही खुदकुशी कर जान दे दी थी। गुरुदत्त की मौत की खबर सुन वहीदा भी टूट गई थीं।
इसके बाद वहीदा अकेली हो गईं, लेकिन उन्होंने अपने कैरियर से मुंह नहीं मोड़ा। राज कपूर के साथ फिल्म ‘तीसरी कसम’ में उन्होंने नाचने वाली हीराबाई का किरदार निभाया था और नौटंकी में गया था, ‘पान खाए सैंया हमारो…मलमल के कुर्ते पर पीक लाल लाल’ जो काफी लोकप्रिय हुआ था। बिहार के फॉरबिसगंज की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। साल १९६५ में ‘गाइड’ के लिए वहीदा को फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। १९६८ में आई ‘नीलकमल’ के बाद एक बार फिर से वहीदा रहमान सभी का आकर्षण रहीं।
इस फिल्म में वह अभिनेता मनोज कुमार और राजकुमार के साथ नजर आई थीं, यह फिल्म उनके कैरियर को बुलंदियों तक पहुंचाने में सफल साबित हुई। इसके बाद एक्टर कंवलजीत ने उनके सामने शादी का प्रस्ताव रखा। जिसे वहीदा रहमान ने खुशी से स्वीकार कर लिया और शादी के बंधन में बंध गईं। साल २००२ में उनके पति का आकस्मिक निधन हो गया। वह एक बार फिर अकेली हो गईं थीं। वहीदा ने २००६ में ‘रंग दे बसंती’ के बाद ‘पार्क एवेन्यू’, ‘मैंने गांधी को नहीं मारा’, ‘ओम जय जगदीश’ जैसी कई फिल्मों में अपने अभिनय के जलवे बिखेरे।
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